मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 27 जुलाई,
2014 को ली जाने वाली मध्यप्रदेश राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2013
में दो वस्तुनिष्ठ प्रश्नपत्र होंगे। पहला प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन का एवं दूसरा प्रश्नपत्र जनरल एप्टीट्यूट टेस्ट का होगा। सामान्य अध्ययन तथा जनरल एप्टीट्यूट टेस्ट के प्रश्नपत्र में 100-100
वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएँगे तथा प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा। इस परीक्षा में सम्मिलित होने वाले सभी प्रतियोगी सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र के लिए चिंतित तो रहते हैं लेकिन सुनियोजित रूप से वे उसकी तैयारी नहीं करते हैं। निःसंदेह सामान्य अध्ययन की तैयारी पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
मध्यप्रदेश राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2013 के सामान्य अध्ययन खंड में भारतीय इतिहास तथा संस्कृति से संबंधित कई प्रश्न पूछे जाते हैं। इसकी तैयारी हेतु इतिहास को तीन भागों यथा प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत तथा आधुनिक भारत में बाँटा जा सकता है। आधुनिक इतिहास सबसे महत्वपूर्ण तथा सर्वाधिक अंकदायी भाग है, अतः इस पर विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिए। स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटनाओं का अध्ययन भी आवश्यक है। मध्यप्रदेश राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2013
के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र में सामान्य विज्ञान एवं पर्यावरण एक महत्वपूर्ण खंड है। सामान्य विज्ञान एवं पर्यावरण में भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान तथा पर्यावरण एवं पर्यावरण संरक्षण से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों की विशेष तैयारी आवश्यक है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वर्तमान घटनाओं की तैयारी में प्रतियोगियों को चाहिए कि वे केवल राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व की राजनीतिक घटनाओं को ही इस खंड की तैयारी में शामिल न करें अपितु चर्चा में रहने वाले विभिन्न विषयों पर भी ध्यान दें।
भूगोल खंड में भूगोल से संबंधित प्रश्न होते हैं। इनमें भूकंप के बुनियादी लक्षण, दुनिया के जलवायु क्षेत्र, बंदरगाह, ज्वार-भाटा, नदियाँ,
बहुउद्देशीय
परियोजनाएँ, सिंचाई, फसलें आदि मुख्य होते हैं। मध्यप्रदेश की भौगोलिक जानकारी से जुड़े प्रश्न भी बहुतायत में पूछे जाते हैं। सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र के अंतर्गत भारतीय राजनीति की तैयारी में संविधान संशोधन के महत्वपूर्ण तथ्यों एवं उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों का अध्ययन लाभप्रद होता है। राजव्यवस्था के अंतर्गत, राज्य के नीति निदेशक तत्व, मूल कर्तव्य, कार्यपालिका, आर्थिक प्रक्रिया जैसे बजट (विभिन्न प्रकार के विधेयक जैसे वित्त विधेयक धन विधेयक आदि), न्यायपालिका विशेषतः सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के अधिकार (उनके ऐतिहासिक विकास सहित), संघ व राज्यों के बीच संबंध, प्रशासनिक अधिकरण, चुनाव व चुनाव सुधार, आपातकालीन प्रावधान, संविधान संशोधन, पंचायती राज व्यवस्था इत्यादि से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए इन खंडों को विशेष रूप से तैयार करें। सामान्य अध्ययन का एक और महत्वपूर्ण खंड है अर्थव्यवस्था। इसके लिए प्रतियोगी को भारतीय तथा विश्व अर्थव्यवस्था में हुई पहल व विकास का समीक्षात्मक विश्लेषण करना चाहिए। सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी भी सम्मिलित की गई है। अतः इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित विभिन्न शब्दों का अर्थ तथा कम्प्यूटर के विभिन्न भागों के कार्यों, हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर की जानकारी भी बेहद जरूरी है। इस भाग की तैयारी हेतु आप बेसिक कम्प्यूटर की किताबों का सहारा भी ले सकते हैं। अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989
तथा सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम-1955
पर विशेष रूप से फोकस करने की जरूरत है। इस बार मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम-1993
पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है अतः इस अधिनियम से जुड़े प्रश्नों को अच्छे से तैयार करें। चूँकि सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में मध्यप्रदेश से संबंधित ढेरों प्रश्न पूछे जाते हैं। अतः मध्यप्रदेश के सामान्य ज्ञान की भी विशेष तैयारी जरूरी है।
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र की तैयारी हेतु सबसे पहले एनसीईआरटी की वे पुस्तकें जो 11वीं और 12वीं कक्षाओं में पाठ्यक्रम में निर्धारित हैं राज्य सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए पढ़ी जानी चाहिए। इनमें भारतीय इतिहास, भूगोल, राजनीतिक व्यवस्था, अर्थशास्त्र, आर्थिक नियोजन, संविधान और विज्ञान की पुस्तकें अत्यधिक महत्वपूर्ण अध्ययन संदर्भ हैं। सामान्य ज्ञान की ऐसी बुनियादी तैयारी के साथ-साथ प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु उपलब्ध स्तरीय मासिक पत्रिकाओं का अध्ययन आवश्यक होता है। सामान्य अध्ययन की तैयारी के लिए जहाँ एक ओर भारत सरकार के प्रकाशन- योजना, कुरुक्षेत्र, मध्यप्रदेश सरकार के प्रकाशन- पंचायिका, मध्यप्रदेश संदेश, रोज़गार और निर्माण, स्तरीय मासिक पत्रिकाएँ- मध्यप्रदेश सामान्य ज्ञान केन्द्रित प्रतियोगिता निर्देशिका, प्रतियोगिता दर्पण आदि उपयोगी हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ विशिष्ट पुस्तकें भी लाभप्रद हैं। ये पुस्तकें हैं- इतिहास हेतु- प्राचीन भारत का इतिहास झा एवं श्रीमाली, भारत का इतिहास- रोमिला थापर, मध्यकालीन भारत- डॉ. आशीर्वादी लाल, आधुनिक भारत का इतिहास- बी.एल. ग्रोवर, भारत का स्वतंत्रता संग्राम- डॉ. विपिनचंद्र। संविधान एवं राजव्यवस्था हेतु- भारत का संविधान- डी.डी. बसु। भूगोल हेतु- भारत का भूगोल- गोपालसिंह, सी.बी. मामोरिया। अर्थव्यवस्था हेतु- भारतीय अर्थव्यवस्था-दत्त एवं सुंदरम्, भारतीय अर्थव्यवस्था मिश्र एवं पुरी। इसके अलावा भारत- 2014
तथा मनोरमा ईयर बुक 2014 का अध्ययन भी काफी लाभप्रद होगा। इसके साथ ही प्रतियोगिता निर्देशिका के नोट्स भी तैयारी में बहुत सहायक सिद्ध होंगे।
अभिरुचि प्रश्नपत्र के पाठ्यक्रम के विभिन्न भागों में बोधगम्यता,
संचार कौशल सहित अन्तर्वैयक्तिक कौशल, तार्किक तर्क एवं विश्लेषण योग्यता, निर्णय लेना एवं समस्या का समाधान करना, सामान्य मानसिक योग्यता, आधारभूत संख्यांकन तथा हिन्दी भाषा बोधगम्यता कौशल सम्मिलित हैं। बोधगम्यता का क्षेत्र उम्मीदवार की भाषा को समझने की क्षमता का परीक्षण करता है। इसमें गद्य अवतरण पर आधारित प्रश्नों के द्वारा यह परखा जाता है कि उम्मीदवार तथ्य खोजने, सूचनाओं का विश्लेषण करने, कथ्य की व्याख्या करने, दी गई सूचनाओं से निष्कर्ष निकालने तथा सूचनाओं के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष अर्थ को समझने में कितना दक्ष है। उम्मीदवार को सर्वप्रथम अवतरण को पढ़कर उसके निहितार्थ को समझने की कोशिश करनी चाहिए। एक बार गद्यांश पढ़कर मूल भाव को समझने में कठिनाई हो तो उसे एक से अधिक बार पढ़ें। जब तक निहितार्थ समझ में न आ जाए, दिए गए गद्यांश को बारंबार पढ़ें। निहितार्थ समझ लेने पर प्रश्नों का उत्तर देना बहुत आसान हो जाता है। संचार कौशल सहित अंतर्वैयक्तिक कौशल का उद्देश्य सामाजिक अंतःक्रिया के कारकों को समझने और उनका प्रबंधन करने की उम्मीदवार की योग्यता परखना है। प्रशासन के संदर्भ में, आंतरिक गुणों के रूप में व्यक्ति की उन आंतरिक क्षमताओं, व्यवहार, संवाद के गुण आदि को देखा-परखा जाता है, जिनका उपयोग वे प्रशासन संगठन में कार्यों की सफलता के लिए करते हैं। इस प्रकार के प्रश्नों का उत्तर काफी सोच समझकर दें। तार्किक तर्क एवं विश्लेषात्मक योग्यता संबंधी प्रश्न दिए गए विवरणों की कमांड, औपचारिक निगमनात्मक योग्यता, नियमों द्वारा व्यवहार को सीमित और आदेशित करने के ढंग से तथा समस्याएँ हल करने के लिए डाटा के अनेक अंशों का उपयोग करने की योग्यता परखते हैं, अतः उम्मीदवारों में निम्नलिखित कौशलों का होना आवश्यक है। 1. सूचना को समझना। 2. सूचना का आरेखन। 3. सूचना को क्रम से लगाना (सीक्वेंसिंग)। यदि आप इन बातों को ध्यान रखते हुए प्रश्नपत्र के इस खंड को हल करेंगे तो निश्चित ही प्रश्नों के सही उत्तर दे पाएँगे।
निर्णय लेना एवं समस्या का समाधान करना प्रशासनिक व्यवहार का एक अहम बिन्दु है। निर्णय लेना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत कोई व्यक्ति विभिन्न रणनीतियों या विकल्पों में से किसी एक विकल्प का चुनाव करता है। प्रश्नपत्र में निर्णय लेने और समस्या-समाधान से संबंधित प्रश्न पूछे जाएँगे जिनका उद्देश्य किसी जटिल स्थिति के प्रति उम्मीदवार की प्रतिक्रिया और उस स्थिति से उत्पन्न होने वाली समस्या का उपयुक्त समाधान ढूँढ़ने का उसका विवेकपूर्ण दृष्टिकोण परखना है। इस भाग में दी गई सूचनाओं एवं परिस्थितियों के आधार पर उम्मीदवार की निर्णय क्षमता को जाँचा एवं परखा जाता है। प्रश्न साधारणतः कुछ परिस्थितियों से संबंधित होंगे, जिनके आधार पर आपको कोई कार्यवाही करनी होगी तथा बताना होगा कि उक्त कार्यवाही क्यों करनी चाहिए। वास्तविक जीवन, कानून एवं व्यवस्था, परिस्थितियाँ अथवा प्रशासनिक कथन और नीति एवं नैतिकता के आधार पर निर्णय लेने संबंधी प्रश्न इस क्षेत्र के अन्य महत्त्वपूर्ण भाग हैं।
सामान्य मानसिक योग्यता की परीक्षा में संख्यात्मक,
शाब्दिक, अमूर्त या स्थानिक रीजनिंग के प्रश्न शामिल रहते हैं। इस प्रकार के प्रश्नों को हल करने के लिए यह आवश्यक है कि उम्मीदवार अपनी कल्पना शक्ति और स्थान बोध का भरपूर प्रयोग करें। प्रश्नों को हल करने की संपूर्ण प्रक्रिया एक मानसिक प्रक्रिया होती है, अतः उम्मीदवारों के लिए यह आवश्यक है कि वे विभिन्न स्थानिक पैटर्नों को अपनी कल्पना की आँखों से निर्धारित करने में विशिष्ट निपुणता का प्रयोग करें। मध्यप्रदेश राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा के जनरल एप्टीट्यूट टेस्ट प्रश्नपत्र में एक भाग आधारभूत संख्यांकन और आँकड़ों का निर्वचन नाम से दिया गया है। वस्तुतः ये दोनों लंबे समय से विभिन्न परीक्षाओं के पाठ्यक्रम के अंग रहे हैं। गणित, विशेषकर आधारभूत संख्यांकन हमारे जीवन का अभिन्न अंग है और वह हमारे लिए उतना ही अपरिहार्य है, जितनी हमारे दिल की धड़कन। इस कारण आधारभूत संख्यांकन की जानकारी राज्य सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रशासक की नौकरी पाने के इच्छुक उम्मीदवार के लिए अनिवार्य है। आँकड़ों के निर्वचन का वस्तुतः दिए गए आँकड़े का विश्लेषण करने, सार्थक निष्कर्षों पर पहुँचने और उपयुक्त निर्णय लेने की आपकी योग्यता का आकलन करना है। आँकड़ों की माँग इस तथ्य के कारण होती है कि किसी भी संगठन में उच्च पदों पर आसीन लोगों के पास प्रत्येक रिपोर्ट के विवरणों में जाने का समय नहीं होता, संगठित आँकड़ों की आवश्यकता भावी परिदृश्य के संबंध में वर्तमान स्थिति के वर्णन में उनकी उपयोगिता के कारण अनुभव की जाती है। आँकड़े विभिन्न घटनाओं जैसे कि विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी खर्च, बजटीय विनिधान, प्रति व्यक्ति आय, जन्म दर, किसी महामारी के कारण मृत्यु-संख्या आदि के बीच संबंध प्रस्तुत कर सकते हैं। आँकड़ों का निर्वचन एक कला है, जिसमें आपको सिद्धहस्त होना चाहिए।
हिन्दी भाषा में बोधगम्यता कौशल खंड में हिन्दी में दिए गए बोधगम्यता आधारित प्रश्न पूछे जाएँगे। इस खंड का उद्देश्य उम्मीदवार की हिन्दी भाषा में गद्य को समझने की क्षमता का पता लगाना है। इस भाग में दिए गए लेखांशों को पढ़कर उचित निष्कर्ष पर पहुँचने की उम्मीदवार की अभिरुचि को परखा जाएगा। इसके साथ ही इस खंड में हिन्दी व्याकरण से जुड़े अनेक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं। इसलिए हिन्दी भाषा बोधगम्यता में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उम्मीदवार में किसी प्रश्न-समस्या का नियमों के आधार पर समाधान करने के लिए दी गई आधारभूत जानकारी को समझने की योग्यता का होना जरूरी है। यदि उम्मीदवार निरंतर अभ्यास करे और हिन्दी भाषा के व्याकरण पर अपनी पकड़ मजबूत करे तो वह इस खंड में बहुत आसानी से अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है। मध्यप्रदेश राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा के जनरल एप्टीट््यूट प्रश्नपत्र के लिए डॉ. जयंतीलाल भंडारी के द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ अत्यधिक उपयोगी है।
वे सभी प्रतियोगी जो आगामी मध्यप्रदेश राज्य सेवा परीक्षा-2013 के माध्यम से राज्य सेवा के प्रतिष्ठित पद पर चयनित होने का सपना संजो रहे हैं उन्हें चाहिए कि वे परिश्रम और आत्मविश्वास के संकल्प के साथ राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी करें। यदि पूरे मनोयोग से तैयारी करेंगे तो सफलता अवश्य ही मिलेगी।
लेखक - श्रीमती मीना भंडारी { कॅरियर काउंसलर }